The Railway Men Release Date: सच्ची घटना पर आधारित भोपाल Methyl isocyanate Gass लीक !

The Railway Men Release Date: 3 दिसंबर 1984 की रात। करीब 8:30 बजे अचानक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की हवा जहरीली होने लगी। अगली सुबह होते होते ये हवा इतनी जहरीली हो गई कि जानलेवा बन गई। कारण था यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से Methyl isocyanate का लीक।

वो हादसा कैसा? था। कम से कम 10,000 -15,000 लोग मरे होंगे। कब्रिस्तान में एक कवर के अंदर 3-3 or 4-4 लोगों को दफन रहे थे।

इस खंड में करीब 20,000 लोग मारे गए। लेकिन हजारों लोगों को बचाने की कोशिश भी की गई। वो भी एक ट्रेन के जरिये।

और ये पूरी कहानी आपको 18 नवंबर को रिलीज होने वाली फ़िल्म द रेलवे मैन में दिखेगी। अब ज़रा उस कंपनी को देख लीजिये जिसकी वजह से हजारों लाशें बिछ गईं। हम दिखा रहे हैं कंपनी की असल तस्वीरें। अभी ये बंद पड़ी कारखाने में जंग लग चुकी है। उस रात इस कंपनी में गैस के लीक होने की वजह थी टैंक नंबर 610 में जहरीली Methyl isocyanate गैस का पानी से मिल जाना। इससे टैंक में दबाव बन गया और वह खुल गया।

फिर इससे निकली वो Gass जिसने हजारों की जान ले ली और लाखों को विकलांग बना दिया, जिसका दर्द आज भी सुनाई देता है।

कमरा भरा हुआ था। लाशों से बूढ़े जवान सब पड़े हुए थे।

और यहाँ की सरकार ने कुछ नहीं करा सिर्फ दूध बांटा, गल्ला दिया जो इसका मालिक था उसको भगा दिया।

फैक्टरी के पास ही जो की बस्ती बनी थी जहाँ काम की तलाश में दूर दराज गांव से आकर लोग रह रहे थे। इन झुग्गी बस्तियों में रह रहे कुछ लोगों को तो नींद नहीं मौत आ गई।

जब गैस धीरे धीरे लोगों के घरों में घुसने लगी तो लोग घबराकर बाहर आये। लोग जान बचाने तो भागे लेकिन मौत बनकर घूम रही गैस किसे छोड़ने वाली थी? किसी ने रास्ते में दम तोड़ दिया तो कोई हफ्ते हफ्ते मर गया। इस तरह के हादसे से निपटने के लिए उस समय कोई तैयारी नहीं थी।

बैटरी का अलार्म सिस्टम भी घंटों तक बंद रहा। जैसे जैसे रात बीत रही थी अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही थी, लेकिन डॉक्टरों को ये मालूम नहीं था कि हुआ क्या है और इसका इलाज कैसे करना है? इसी बीच एक ट्रेन से लोगों को बचाने के लिए कुछ लोग आगे आये। जिनकी कहानी आपको दिखेगी नेटफ्लिक्स की इस फ़िल्म में The Railway Men। भोपाल त्रासदी का दर्द आज भी जिंदा।

The Railway Men

इस कांड के चलते कई लोगों कुल दीर्घावधि की बीमारियां हुई तो कहीं रूप से प्रभावित हुए। आज भी 5,75,000 गैस पीड़ित सीधे तौर पर प्रभावित हैं। इनमें मुख्य रूप से गैस का असर जिन लोगों को हुआ उनको कैंसर, किडनी के पेशंट ज्यादा है और लंग्स के।

क्या हुआ था वो आप फिर से इस फ़िल्म के जरिए देख लेंगे, लेकिन जिन्होंने झेला उनके दर्द को कोई मरहम काम नहीं कर सकता।

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एक अनुभवी लेखक के रूप में, आज़ाद कुमार को संशोधन करने की विशेष क्षमता है जिससे वे जटिल विचारों को स्पष्ट, सुलभ भाषा में परिवर्तित कर सकते हैं,

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