Taiwan jobs for indian: ताइवान ने भारत सरकार से मांगे 100000 मजदुर!

Taiwan jobs for indian: पहले इजराइल ने भारत से 1,00,000 भारतीयों की मांग भारत सरकार से की थी और अब ऐसी ही मांग ताइवान ने भी कर दी है। दरअसल ताइवान ने नौकरियों के लिए एक अहम समझौते की पेशकश की है। इसके तहत ताइवान में भारत के 1,00,000 श्रमिकों को नौकरी मिले गी।

इजराइल से फिलिस्तीनी श्रमिकों के निकाले जाने के बाद इसराइल ने भारत का रुख किया और भारत से 1,00,000 श्रमिकों की मांग की। ठीक इसी तरह अब ताइवान ने भी भारत से 1,00,000 श्रमिकों की मांग की है। उम्मीद जताई जा रही है कि भारत और ताइवान के बीच नौकरियों को लेकर एक अहम समझौता होगा। इस समझौते में ताइवान में भारत के 1,00,000 श्रमिकों को नौकरी मिलने वाली है। दरअसल, ताइवान में बेरोजगारी दर न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई है। उसे मैन्युफैक्चरिंग, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत है, जो उसे अपने देश में नहीं मिल रहे। ऐसे में उसने भारत की तरफ ही समझौता आगे बढ़ाया है। ताइवान और भारत के बीच समझौता जल्दी होने की उम्मीद है, जिसके बाद 1,00,000 भारतीय नौकरी करने ताइवान जाएंगे।

इजराइल ने भी हाल ही में 1,00,000 भारतीयों को नौकरी का ऑफर दिया था। भारत और ताइवान के बीच समझौता अब आखिरी चरण में है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले महीने भारत और ताइवान के बीच नौकरी को लेकर समझौता हो सकता है। उसके बाद में नौकरी दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ताइवान ने भारत की कुशल श्रमिकों को अपने देश के श्रमिकों के बराबर वेतन और इन्शुरन्स जैसे सभी सुविधाएं देने की पेशकश की है। अब सवाल ये है की ताइवान आखिर अपने नागरिको को नौकरी पर क्यों नहीं रख रहा और वो भारतीय से श्रमिकों को क्यों बुलाना चाहता है? बताता है ताइवान अपनी आबादी की बढ़ती उम्र से परेशान है। अगले 2 साल में यानी 2025 तक ताइवान की 20% से ज्यादा आबादी 80 साल की हो जाएगी।

ताइवान के अलावा भी कई देश इसी समस्या से जूझ रहे हैं। हाल ही में इजराइल ने भी 1,00,000 भारतीयों को कंस्ट्रक्शन और नर्सिंग क्षेत्र में नौकरी देने की पेशकश की। श्रमिकों की मोबिलिटी को लेकर भारत का जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस समेत 13 देशों के साथ समझौता हो चुका है। इनमें से ज्यादातर देश आबादी के बुरे होने की समस्या से परेशान हैं। भारत और ताइवान के बीच लगातार संबंधों में बेहतरी आ रही है। इसे देखते हुए भी उम्मीद जताई जा रही है कि ठीक इसी तरीके का समझौता ताइवान के साथ भी पूरा हो सकता है। बता दें, ताइवान और भारत के बीच 2100 2022 तक कारोबार में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। ये बढ़ोतरी 1.19 अरब डॉलर से बढ़कर 8.4 अरब डॉलर का हो गया है।

दोनों देशों के बीच बेहतर होते रिश्ते निश्चित ही चीन की नींद उड़ाएंगे। बता दें, ताइवान को चीन अपना एक प्रांत मानता रहा है। उस पर किसी भी देश की दखलअंदाजी को देखकर ड्रैगन बौखला जाता है। दूसरी तरफ ताइवान खुद को आजाद देश मानता है जहाँ उनके अपने संविधान है और एक तय प्रक्रिया के तहत चुने गए नेता। अमेरिका और पश्चिमी मुल्कों के लिए ताइवान बहुत जरूरी है। इसके पीछे वजह दो हैं। पहली वजह है कि भौगोलिक रूप से प्रशांत महासागर के इलाके में कई द्वीपों के बीच ताइवान आइलैंड चेन कहलाता है। अगर चीन ताइवान पर कब्जा कर लेता है तो प्रशांत महासागर में उसका दबदबा कायम हो जाएगा। दूसरी वजह अर्थव्यवस्था है और दोनों ही लिहाज से भारतीय नहीं चाहेगा। कि ताइवान को लेकर चीन की पकड़ मजबूत हो।

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एक अनुभवी लेखक के रूप में, आज़ाद कुमार को संशोधन करने की विशेष क्षमता है जिससे वे जटिल विचारों को स्पष्ट, सुलभ भाषा में परिवर्तित कर सकते हैं,

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