टेस्ला को मोदी सरकार ने दिया बड़ा झटका!

ईवी कंपनी के मालिक और टेस्ला के सीईओ एलेन मस्क को तगड़ा झटका लगा है। ये झटका और किसी से नहीं बल्कि भारत सरकार ने दिया है।

असल में करीब एक महीने पहले जब देश के प्रधानमंत्री अमेरिका गए थे तब एलेन ने देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी मुलाकात इतनी गर्मजोशी से हुई थी कि लगा कि एलेन को अब भारत में कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन आज एक बड़ी खबर सामने आई है। असल में अमेरिकी ईवी कंपनी टेस्ला भारत में advances केमिकल सेल के मैन्युफैक्चरिंग के लिए सरकार से स्पेशल ट्रीटमेंट यानी आसान भाषा में कहें तो नीति और नियमों में बदलाव चाहती थी लेकिन सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया कि भारत में advance केमिकल सेल के निर्माण के लिए टेस्ला को किसी प्रकार की स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दी जाएगी।

भारत सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है, अमेरिका की इलेक्ट्रिक कार्ड बनाने वाले कंपनी टेस्ला को प्रोत्साहन देने के लिए कोई अलग नीति लाने की योजना नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने कहा है, कि टेस्ला चाहे व्हीकल या advance chemistry सेल यानी एसीसी के लिए उत्पादन से जुडी प्रोत्साहन स्कीम यानी पीएलआई के तहत सपोर्ट के लिए फिर से आवेदन कर सकती है। अब पीएलआई स्कीम का इस स्टोरी में क्या कनेक्शन है ये जान लीजिए भारत सरकार ने पहले ही अठारह हजार एक सौ करोड़ रुपए के आउटलेक के साथ advance chemistry सेल यानी एसीसी बैटरी स्टोरेज के लिए पीएलआई और auto components और ड्रोन industry के लिए छब्बीस हजार अठावन करोड़ रूपए की योजना शुरू कर दी थी भारत सरकार ने ये भी साफ कर दिया था कि टेस्ला को इन्हीं शर्तों के साथ आना होगा, वैसे पिछले महीने सरकार ने कहा था कि अगर कोई state अपनी और से कोई additional राहत देना चाहे तो वो ऐसा कर सकता है।

लेकिन भारत सरकार अपने नियमों में किसी भी प्रकार का ढील नहीं देगी। अब इस खबर से देश की कंपनियों को बड़ा फायदा होगा, वो कैसे? ये भी जान लीजिए। असल में भारत की कंपनियां ईवी को लेकर काफी सजग और तेज हो गई हैं। खासकर टाटा ग्रुप बिल्कुल नहीं चाहेगा कि टेस्ला कंपनी से उसका मुकाबला हो। अब इसका क्या कारण है ये जान लीजिए टाटा ग्रुप ईवी पर काफी आगे बढ़ चूका है। इसी वजह से उसने भारत में फोर्ड को खरीदकर उसका बोरिया बिस्तर बंद करा दिया था।

टाटा भी चाहता है कि भारत सरकार की पीएलआई स्कीम का ज्यादा से ज्यादा फायदा उसे मिले। अगर टेस्ला भारत में आ भी जाता है तो उसको भारत में उतना स्पेस ना मिले। अब जाते-जाते subsidy और import का क्या खेल है ये जान लीजिए। साल दो हजार इक्कीस में टेस्ला ने भारत में electric व्हीकल पर import duty में कटौती की मांग की थी। वास्तव में भारत पूरी तरह से निर्मित यूनिट यानी completely बिल्ट यूनिट के रूप में imported कारों पर इंजन and साइज लागत insurance और freight value चालीस हजार अमेरिकी डॉलर से कम या अधिक के आधार पर साठ फ़ीसदी से सौ फ़ीसदी तक custom duty चार्ज करता है। टेस्ला इसी को कम या पूरी तरह से खत्म करने की बात कर रही है।

वहीं दूसरी और सरकार इसी बात पर अड़ी हुई है कि सरकार इस तरह की ड्यूटी को बिल्कुल भी नहीं हटाएगी, ये नियम दुनिया की सभी कंपनियों पर एक समान लागू है जो भारत में अपना सामान बेच रही है। सरकार का कहना है कि अगर टेस्ला को भारत में काम करना ही है। तो यहीं पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाए और सप्लाई चैन बनाएं। खैर ये लड़ाई कहाँ जाकर रूकती है, ये तो वक्त ही बताएगा।

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एक अनुभवी लेखक के रूप में, आज़ाद कुमार को संशोधन करने की विशेष क्षमता है जिससे वे जटिल विचारों को स्पष्ट, सुलभ भाषा में परिवर्तित कर सकते हैं,

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