Petrol Pump पर पलक झपकते ही कट कट रहा 10 हजार का चालान, लेकिन क्यों?

सोचिए कि अगर आप किसी Petrol Pump पर पेट्रोल भरवा रहे हैं और पेट्रोल भरवाते-भरवाते आपका 10,000 का चालान कट जाए, वो भी आपको बिना बताए तो कैसा लगेगा?

अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कहाँ होता है? कि पेट्रोल भरवाने पर चालान कट जाए, वो भी कितना हैवी? तो आपको बता दें कि वाकई में ऐसा हुआ है बल्कि पिछले एक महीने से ऐसा राजधानी दिल्ली में हो रहा है और आपको जानकर यकीन नहीं होगा कि अब तक आठ सौ से ज्यादा लोगों के चालान भी कट गए हो। अब ऐसा हो क्यों रहा है, वो आपको हम बताते हैं। दरअसल आपको बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए परिवहन विभाग ने एक नायाब तरीका निकाला है।

वो ये कि दिल्ली सरकार सीसीटीवी कैमरे की मदद से प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर नकेल कस रही है। जिसके लिए परिवहन विभाग ने दिल्ली के चार petrol पंप पर एक pilot project शुरू किया है। यानी कि जब तक लोग अपनी गाड़ी में तेल डलवाते हैं, तब तक petrol पंप पर लगा Camera उनके नंबर प्लेट की फोटो खिंच लेता है। नंबर प्लेट की फोटो आने के साथ ही गाड़ी की पूरी कुंडली खुल जाती है। और पता चल जाता है कि गाड़ी का पीओसी यानी कि pollution under चेक certificate है या नहीं।

और जिस गाड़ी का PUC certificate नहीं होता या फिर वो expire हो जाता है तो उसका सीधा 10,000 का चालान काटकर उसके घर भेज दिया जाता है। बता दें कि ये pilot project छोटे स्तर पर शुरू किया गया है ज्यादा अच्छे तरीके से इसके कारगर होने का पता चल सके। अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर दिल्ली के वो कौन से चार पेट्रोल पंप है जहाँ ये पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है और अगर पता चल जाए तो भैया ऐसे पेट्रोल पंप पर जाने से बचा जाए। इसकी जानकारी हमने भी लेनी चाही आखिरकार दिल्ली के वो कौन-कौन से इलाके हैं जहाँ ये कैमरे वाला चालान वसूला जा रहा है। लेकिन परिवहन विभाग ने ये जानकारी देने से ये कहते हुए मना कर कि ऐसा करने से लोग ऐसे petrol पंप का रुख नहीं करेंगे और नुकसान petrol पंप के मालिकों का हो जाएगा।

दरअसल इस पूरी scheme में transport विभाग का बहुत ज्यादा खर्च नहीं हो रहा है। कैमरा तो petrol पंप पर लगा ही होता है। जिसके जरिए number plate की तस्वीर साफ आ जाती है। सिर्फ उस तस्वीर को petrol पंप के server के अलावा दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के अतिरिक्त CPU में route कर दिया जाता है। बाकी काम computer अब कर लेता है। यानी किसी कर्मचारी को भी लगाने की कोई जरूरत नहीं पड़ती। सरकार का ये भी कहना है कि पेट्रोल पंप की पहचान इसलिए भी गोपनीय रखी जा रही है ताकि लोगों को इस बात के लिए सजग किया जा सके कि उनका चालान किसी भी अनजान पेट्रोल पंप पर पड़ सकता है। अब सवाल ये उठता है कि क्या ऐसा पूरी दिल्ली में होने वाला है?

जिसकी जानकारी देते हुए परिवहन विभाग ने बताया कि देशभर में ऐसा प्रयोग करने वाला दिल्ली अकेला राज्य है? जिसके नतीजे भी काफी चौंकाने वाले आए हैं। यानी कि एक महीने के भीतर ही आठ सौ से ज्यादा चालान काट दिए गए हैं। पायलट project कामयाब हुआ। तो दिल्ली के परिवहन विभाग ने ये फैसला लिया है कि इसे चार पेट्रोल पंप से बढाकर पच्चीस पेट्रोल पंप पर अब इस अनूठे तरीके से चालान काटे जाएंगे। और इतना ही नहीं आने वाले दिनों में ऐसे पंपों की संख्या बढ़ाकर पांच सौ तक करने की योजना है ताकि दिल्ली के किसी भी हिस्से में बगैर PUC के पहुंचो तो ऑटोमेटिक चालान कट जाए।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि दिल्ली में गाड़ियों से निकलने वाला धुआं बढ़ते प्रदूषण के लिए सबसे बड़ी वजहों में से एक है। इसलिए सरकार नियमों का उल्लंघन करने वाली गाड़ियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है और शुरू भी कर दी है।

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एक अनुभवी लेखक के रूप में, आज़ाद कुमार को संशोधन करने की विशेष क्षमता है जिससे वे जटिल विचारों को स्पष्ट, सुलभ भाषा में परिवर्तित कर सकते हैं,

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